January 5, 2021
Spread the love संभावनाऐ अनंत हैं हर क्षेत्र मेँ हर ब्यक्ति के अन्दर का आत्मबल उसके साथ दौड़ लगाने का पुरा दमखम रखता हैं। लेकिन ब्यक्ति अपनी बुद्धि को किन्तु परन्तु में लगा कर उस क्षण को नज़रअंदाज़ कर देता Read more…
January 5, 2021
Spread the love संभावनाऐ अनंत हैं हर क्षेत्र मेँ हर ब्यक्ति के अन्दर का आत्मबल उसके साथ दौड़ लगाने का पुरा दमखम रखता हैं। लेकिन ब्यक्ति अपनी बुद्धि को किन्तु परन्तु में लगा कर उस क्षण को नज़रअंदाज़ कर देता Read more…
December 25, 2020
Spread the love अगहन मास की शुक्ल पक्ष की एकादसी तिथि मोक्षदा एकादसी कहलाती हैं। मान्यता है की द्वापर युग में इसी दिन कुरुक्षेत्र में भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। यह दिन गीता जयंती के रूप में Read more…
October 26, 2020
Spread the love भिखारी को भीख देना हम अपना कर्त्वय समझते हैं। चलो कुछ रूपए दे कर हम उसका उपकार कर देते हैं। ऐसी ही सोच हमारे अंदर होती हैं। कुछ ज्यादा विचार करने पर यही आता हैं , हट्टा Read more…
October 18, 2020
Spread the love या देवी सर्वभूतेषु ,मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तयै नमो नमः।। ‘‘माँ , जगदम्बा , हे पराम्बा आपको मेरा नमस्कार हैं , करबद्ध हो कर हम आपसे विनती कर रहे हैं , माँ आपके शरण में Read more…
October 10, 2020
Spread the love आज के सन्दर्भ में बात करे तो कोविद-19 का आगमन विश्व सहित देश में इसका फैलाव गंभीर समस्या हैं। पूरा विश्व समाधान की फिक्र में हैं। लॉकडाउन (lockdown) की घोषणा के बाद जो मौहौल बना, काफी दर्दनाक Read more…
October 4, 2020
Spread the love हमारा मन कई परिस्थिति में प्रभावित हो सकता हैं। जब किसी नुकसान का भय हो, तो हमारा मन परेशान होता है साथ ही जब किसी जोखिम की जानकारी हो, तो भी हम परेशान होने लगते हैं। सावधानी Read more…
September 27, 2020
Spread the love वो संघर्ष का दौर था, निजी भावनाओं ऊपर सर्वोपरि कुछ और था , जूनून जोश और अम्बर, जितने का ख़्वाब था , अपनी धारा आबो हवा, अपना सब कुछ पा लेने का उल्लास था, खोने को सब कुछ, Read more…
Spread the love बंदिशे क्यों नागवार हैं , माँ के गर्भनाल से बंध कर ही , बचपन आया , पौधें की जड़ , मिटटी से बँध कर ही , लहलहाया , नदियां किनारो से , बंध कर ही धारा बन Read more…
September 20, 2020
Spread the love जिंदगी हारने की चीज नहीं , क्यों हारने की सोचते हो , जो गम पचा न सके , वह गम तुम्हारा नहीं है , दूसरे की बोझ ढो रहे हो , क्यों हारने की सोचते हो Read more…
August 23, 2020
Spread the love भागते थे कदम ,घर के बाहर छुपा -छुपी खेलने को , फुटबॉल खेलना था, ग्राउंड में , स्लाइड करना था , सब कुछ तय था, धमाचौकड़ी करनी थी , एम्बुलेंस , आयी थी आज, कोई बीमार Read more…