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संभावना के समर्थ माध्यम

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Spread the love  संभावनाऐ  अनंत  हैं  हर क्षेत्र  मेँ  हर  ब्यक्ति  के अन्दर  का  आत्मबल  उसके  साथ  दौड़  लगाने  का  पुरा  दमखम  रखता हैं। लेकिन  ब्यक्ति  अपनी  बुद्धि  को किन्तु  परन्तु  में  लगा कर उस क्षण को नज़रअंदाज़ कर देता Read more…


गीता जयंती पर एक विचार

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Spread the love  अगहन मास  की शुक्ल पक्ष की एकादसी तिथि मोक्षदा एकादसी कहलाती हैं। मान्यता है की द्वापर युग में इसी दिन कुरुक्षेत्र में भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था।  यह दिन गीता जयंती के रूप में Read more…


भिखारी और उन्नति का सूत्र

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Spread the love  भिखारी को भीख देना हम अपना कर्त्वय समझते हैं। चलो कुछ रूपए  दे कर हम उसका उपकार कर देते हैं। ऐसी ही सोच हमारे अंदर होती हैं। कुछ ज्यादा विचार करने पर यही आता हैं , हट्टा Read more…


नवरात्र एक संकल्प

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Spread the love    या देवी सर्वभूतेषु ,मातृरूपेण  संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तयै नमो नमः।।    ‘‘माँ , जगदम्बा , हे पराम्बा  आपको मेरा नमस्कार हैं  , करबद्ध हो कर हम आपसे विनती कर रहे हैं , माँ आपके शरण में Read more…


प्रतिकूलता से प्रेरणा तक

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Spread the love  आज के सन्दर्भ  में बात करे तो कोविद-19 का आगमन  विश्व सहित देश  में इसका फैलाव गंभीर समस्या हैं। पूरा विश्व समाधान की फिक्र में हैं। लॉकडाउन (lockdown) की घोषणा  के बाद जो मौहौल बना, काफी दर्दनाक Read more…


हमारी सोच से इम्युनिटी प्रभावित होती है

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Spread the love  हमारा मन कई परिस्थिति में प्रभावित हो सकता हैं। जब किसी नुकसान  का भय हो,  तो हमारा मन परेशान होता है  साथ ही जब किसी जोखिम  की जानकारी हो, तो भी हम परेशान होने लगते हैं।  सावधानी Read more…


अक्षुण्ण विरासत

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Spread the love  वो संघर्ष का दौर था, निजी भावनाओं  ऊपर सर्वोपरि कुछ और था , जूनून जोश और अम्बर, जितने का ख़्वाब था , अपनी धारा आबो हवा, अपना सब कुछ  पा लेने का उल्लास था, खोने को सब कुछ, Read more…


बंदिशे

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Spread the love  बंदिशे क्यों नागवार हैं , माँ के गर्भनाल से बंध कर ही , बचपन आया , पौधें की जड़ , मिटटी से बँध  कर ही , लहलहाया , नदियां किनारो से , बंध कर ही धारा बन Read more…


कुछ पल अपने लिए

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Spread the love  जिंदगी हारने की चीज नहीं , क्यों हारने की सोचते हो , जो गम पचा न सके , वह गम तुम्हारा नहीं है ,   दूसरे की बोझ ढो रहे हो , क्यों हारने की सोचते हो Read more…


भागते थे कदम

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Spread the love    भागते थे कदम ,घर के बाहर छुपा -छुपी खेलने को , फुटबॉल खेलना था, ग्राउंड में , स्लाइड करना था , सब कुछ तय था, धमाचौकड़ी करनी थी , एम्बुलेंस , आयी थी आज, कोई बीमार Read more…