माता रानी की उपासना
April 12, 2021
करोना महामारी का पुनः नए रूप में आना कष्टकारी हैं समय और साधन के परिदृश्य में हमें बार बार विचार करने की आवश्यकता हैं , हम क्या कर रहे हैं और कैसे कर रहें हैं। चैत्र नवरात्रि की तैयारी करते समय यह ख्याल आना स्वाभविक हैं कि परंपरागत तरीके से हम अनुष्ठान को कैसे करें। कोविड 19 का दिशा निर्देश का हमें पालन करना भी जरुरी हैं। सेनेटाइजेशन , मास्क और दो गज की दुरी का पालन करते हुए आयोजन में मिल जुल कर पूजा पाठ नहीं कर सकते हैं। ऐसे में हम कैसे माता रानी की भक्ति करें। कर्मकाण्ड तथा पूजा के मंत्रों का उच्चारण हर किसी के लिए संभव नहीं होगा। एक गृहस्थी को अपनी दिनचर्या में पूजा पाठ, हवन ,आरती , करने की आदत होती हैं। किन्तु विशेष पूजा का अवसर हमें साल के कुछ अवसरों पर मिलता हैं जिसका इंतजार सबको रहता हैं। किसी कारणवश वह आयोजन नहीं हो पाता हैं तो अच्छा नहीं लगता हैं। कुछ अधूरा सा लगता हैं। इस महामारी के संकट काल में यही अखरता हैं। ऐसे में अपने मन और दिनचर्या दोनों को कैसे संतुलित करें कि अपना अनुष्ठान भी निभ जाय और कोविड १९ का दिशा निर्देश का भी पालन हो जाय। ऐसे में हम अपनी जो परिपाटी चलन हैं उसमें थोड़ा सा समयानुकूल परिवर्तन कर आसानी से प्रेम औरआस्था विश्वास का पर्ब नवरात्रि में मातृ शक्ति की आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे । माता प्रेम भाव की भूखी हैं। श्रद्धा और समर्पण के भाव से माँ की जितना संभव हो सके भक्ति करें।
नवरात्री में दुर्गा सप्तशती के पाठ में कई तरह के नियम और वर्जनाएँ हैं। उन्हें समझने की जरुरत हैं ,माँ की आराधना के लिए किसी आडम्बर की जरुरत नहीं हैं। माँ दयामयी ,कृपालु हैं ,जगत जननी जगदम्बा हमारे भाव को देखती हैं। वह हमारे अंदर के निर्मल भाव से प्रसन्न होती हैं। हम जैसे है माँ के सामने वैसे ही समर्पित हो जाए , जो साधन उपलब्ध हैं वही ले कर हाथ जोर कर बिनती करे ,भोग लगाए ,माँ कोअपनी हर समस्या और , अपनी हर इक्क्षा उनके सामने रखे। सब बता दे ,सब सुना दे , वह सुन रही हैं ,वह सब देख रही हैं,अपना बिश्वास उन पर टिका दे। माँ सारे कष्टों को दूर करने वाली हैं। हारे की सहारा हैं।
अब अपने तन मन को हल्का करें और अपने में संकल्प कर सकते हैं। इस महामारी में माँ भगवती सब की रक्षा करें। दुर्गा सप्तसती का मन्त्र —-
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालनि।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्रे स्वाहा स्वधा नमस्तुते।
देवी की आराधना में सुख सौभाग्य के लिए प्रार्थना हम सब को करनी चाहिए। मंत्र करना चाहे तो यह सप्तसती का ही मंत्र हैं —
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि में परमं सुखम।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि।।
दुर्गा चालीसा का नियमपूर्वक पाठ करना भी हमें ऊर्जा देगा। अंततः सन्दर्भ यहीं हैं कि हमें महामारी काल में अपनी भक्ति उपासना को भाव पूजा के द्वारा संपन्न करने में कोई दुबिधा नहीं करनी चाहिए। माँ भगवती सबको सद्बुद्धि दे सब निरोगरहें, हर कोई स्वंम की सुरक्षा एवं दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखे। हम सब माँ भगवती परमेश्वरि महामाया से सब की कल्याण की प्रार्थना करते हैं।