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टैरेस गार्डनिंग एक जरुरत

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टैरेस गार्डनिंग की बात करें तो छत पर  सुन्दर सी बगीया जिसमें बिभिन्न प्रकार के फूलों ,फलों और शब्जियों के हरे भरे पौधों  का मनोहारी दृश्य की अनुभूति होती हैं। आम तौर पर हम हरियाली भरा प्राकृतिक  वातावरण में हल्क़ा और प्रसन्न महसुस करते हैं। मन का भारीपन दूर होता हैं ,सहज  संबेदनशील भावना से  नित नई ऊर्जाका  संचार हमारे मन,मष्तिष्क ,को विकार रहित बनाता हैं।  इस तरह टैरेस गार्डन की मुख्य भुमिका हमारे लिए प्राकृतिक माहौल बनाने की हैं ,क्योंकि गाँव में कृषि कार्य के लिए भूमि जिसे स्थानीय भाषा में बाड़ी झाड़ी या बगान कहते हैं उपलब्ध होती हैं  . किन्तु शहर में  ब्यवस्था को बनाने में  जगह की कमी की समस्या होती हैं । हम स्वस्थ रहने के लिए  जरूरी शारीरिक श्रम  कर सके इसके लिए भी गार्डनिंग करना सक्षम कसरत   हैं ,बहुतों उदाहरण भरे हैं उन लोगों की जिन्होंने गार्डनिंग करके अपने स्वास्थ में सुधार किए ।अनेको ने अपने जीवनशैली मे सुधार ला कर मिट्टी के सम्पर्क में  रह कर ताजे फल पत्तियाँ हर्ब का इस्तेमाल से आर्थराइटिस,मधुमेह ,अवसाद आदि समस्याओं  को कम किया या  निजात पाई । अहम् समस्या  ,प्रदूषण का भी हैं। प्रदूषण    प्रबंधन  के लिए छत  बालकोनी और जो भी छोटी जगह उपलब्ध हो उस,पर गार्डनिंग को अपनाकर  ऑर्गेनिक खेती का लाभ लेने हर संभव प्रयास करना चाहिए। शाक शब्जी में कीटनाशी और रसायनिक उर्बरक के इस्तेमाल से हानिकारक तत्व अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं ,इनके सेवन से शरीर में अनेकों  खतरनाक बीमारीओं की होने संभावना  बनी  रहती हैं। ऐसे में ऑर्गेनिक खेती का बिकल्प  अपनाना हमारेस्वस्थ रहने के  उदेश्यों को पूरा करने का मजबूत संकल्प होगा।

किसी भी  परिवार को  अपनी आवस्य्क्ता के अनुसार टैरेस गार्डन में पौधों की ब्यवस्था बनानी  चाहिए।इसके

लिए पहले पौधा किस तरह का  हो इसका चुनाव करें फिर उसके अनुसार पॉट गमला या   क्यारी की ब्यवस्था करनी चाहिए।

जैसे फुल और सजावटी पौधों के लिए छोटे और डिजाइनर गमलों की आवश्य्कता होगी किंतु सब्ज़ी और फलवाले पौधों के लिए बड़े गमले या क्यारी की जरुरत होगी। गमले या क्यारी में मिट्टी कैसी  हो और उसको  कैसे उपजाऊ बनाया जाये। टेरेस गार्डनिंग के लिए मिट्टी हल्की और भुरभुरी पोषक तत्वों से भरपुर हो  ,इसके लिए  कोको पिट ,गोबर की सड़ी हुई खाद ,वर्मी कम्पोस्ट ,नीमखली ,हल्दी पाउडर ऑर्गेनिक फंगीसाइड को निश्चित अनुपात में मिला कर गमले  भर लेना हैं।इतनी ब्यवस्था  के बाद  गार्डनिंग  का बेसिक तैयारी हो जाती। इसके बाद नर्सरी से तैयार पौधा या बीज ले कर पौधा तैयार करलगाए। समय समय पर ऑर्गेनिक फर्टिलाइज़र और कीट रोग नियंत्रण केलिए किचन वेस्ट से निकले कचड़ा से ही बाओजाईम का इस्तेमाल कर पौधों को स्वस्थ रखते हुई अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।

इस लेख को लिखने का उद्देश्ये हैं की जो टेरेस गार्डनिंग कर रहे हैं उनको तो उत्साह बढ़ेगा साथ ही नए ब्यक्ति  हैं जो   गार्डनिंग करना चाहते हैं उनको थोड़ी सी भी सहायता मिल जाएगी तो एक सकारात्मक प्रयास होगा। मैं भी टेरेस गार्डनिंग करती हूँ अपने अनुभव के आधार पर मेरा मानना है की गार्डनिंग एक सीखने की सतत चलने वाला ब्यवहार हैं जो जीवन्त वातावरण में सम्पन्न करते हैं. हर  पौधा के साथ आप का अपनापन होता हैंउनसे अघोषित वार्तालाप होता हैं तभी तो आपको  उसके पास होनेसे  आपको अच्छा लगता हैं। तनाव रहित होते हैं। कहते हैं पौधों की  देख भाल नवजात शिशु की तरह करनी चाहिए क्योंकि वह भी पूरी तरह आपके ऊपर निर्भर होते हैं भोजन पानी के लिए। प्रकृति उनको पनपने बढ़ने की पुर्ण ब्यवस्था देती लेकिन हमें अपनी आवश्य्कता के लिए उनकी सेवा करनी चाहिए। प्रतिफल स्वरुप हमें आनन्द मिलताहैं।   ,उत्तम स्वास्थ केलिए   ,साफ हवा भरपूर ऑक्सीजन मिलता है।   साथ ही सुन्दर मनमोहक छटा वाला छतप्राप्त  होता हैं ।

 

 

 

 

 

 

 

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