January 1, 2022
मानव मष्तिष्क सहज ही कल्पनाओ के माया जाल में उलझ जाता है। सुलझे अनसुलझे सवालों में घिरा रहता है। बहुत से उदाहरण भरे पड़े हैं जहाँ ब्यक्ति अपने चाहत की चादर को इस तरह अपने इर्दगिर्द लपेट लेता है, जिस Read more…
January 1, 2022
मानव मष्तिष्क सहज ही कल्पनाओ के माया जाल में उलझ जाता है। सुलझे अनसुलझे सवालों में घिरा रहता है। बहुत से उदाहरण भरे पड़े हैं जहाँ ब्यक्ति अपने चाहत की चादर को इस तरह अपने इर्दगिर्द लपेट लेता है, जिस Read more…