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नववर्ष के संकल्प

मानव मष्तिष्क  सहज ही कल्पनाओ के माया जाल  में उलझ जाता है। सुलझे अनसुलझे सवालों में घिरा रहता है। बहुत से उदाहरण भरे पड़े हैं जहाँ ब्यक्ति अपने चाहत की चादर को इस तरह अपने इर्दगिर्द लपेट लेता है,  जिस Read more…


समस्या और सकारात्मकता

समस्याएँ  आती हैं , यह  जीवन का अभिन्न भाग हैं। कार्य करने की कल्पना से ही समस्याओं का भी आना निश्चित हैं,क्योंकि  ऐसा कोई भी कार्य या उपक्रम नहीं हैं जिसको संपन्न करने में कोई न कोई समस्या का सामना Read more…


माता रानी की उपासना

करोना महामारी का पुनः नए  रूप में आना कष्टकारी हैं  समय और साधन के परिदृश्य में हमें बार बार विचार  करने की आवश्यकता हैं  , हम क्या कर रहे हैं और कैसे कर रहें हैं। चैत्र नवरात्रि की तैयारी करते Read more…


माँ कहती थी

      नारी  सशक्तिकरण के दौड़  में भी महिलाएँ शोषित हो रहीं हैं। जब भी समाचारपत्र या  टेलीविजन पर समाचारों  में  महिलाओ बच्चियों  के साथ निंदनीय ब्यवहार  की खबर छपती हैं ,तब किसी का भी ह्रदय दुःख से भर Read more…


संभावना के समर्थ माध्यम

  संभावनाऐ  अनंत  हैं  हर क्षेत्र  मेँ  हर  ब्यक्ति  के अन्दर  का  आत्मबल  उसके  साथ  दौड़  लगाने  का  पुरा  दमखम  रखता हैं। लेकिन  ब्यक्ति  अपनी  बुद्धि  को किन्तु  परन्तु  में  लगा कर उस क्षण को नज़रअंदाज़ कर देता है। हर Read more…


गीता जयंती पर एक विचार

  अगहन मास  की शुक्ल पक्ष की एकादसी तिथि मोक्षदा एकादसी कहलाती हैं। मान्यता है की द्वापर युग में इसी दिन कुरुक्षेत्र में भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था।  यह दिन गीता जयंती के रूप में मनाई जाती Read more…