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Category: साहित्य

जीवन अनमोल है–अपेक्षाओं को समझें।

जीवन अनमोल हैं। जब तक जीवन हैं इसकी क़द्र करते हुए श्रेष्टतम परिकल्पनाओं को सार्थक करें। किसी ने कहा हैं की तुम समय की कद्र करो समय तुम्हारी अपेक्षाओं को समर्थ करेगा। कल्पना की उड़ान भरना हर कोई के लिए Read more…


जीवन मूल्यों का अवलम्बन ही सकारात्मकता हैं।

मनुष्य जीवन  अनमोल हैं। प्रकीर्ति हमें स्वीकार्य और अस्वीकार्य कर्मो  के   अनुशासन में बांध रखा हैं। इन्हीं नियमों के तहत जीवन की गति चलती हैं। भगवतगीता हमें हमारे कर्मो को बहुत ही स्पष्ट रूप से समझाया हैं. कर्म और Read more…


गुल्लक

गुल्लक की महत्वपूर्ण पकड़ हमारी समाजिक और पारिवारिक अर्थब्यवस्था में रही हैं। बच्चों से ले कर बड़ो तक में  गुल्लक की महिमा  का गुणगान  हैं। दीपावली में ब्यापारी के यहाँ नया खाता वही ख़रीदाता था वहीं गृहस्थी के यहाँ गुल्लक Read more…


क्या आप जानते हैं।

दस लम्बी  साँस आपको ऊर्जा से भर देती हैं तब जब कोई काम करना कठिन लगता हैं। जब भी भारी सामान उठाना हो आप तो आप गिन कर दस लम्बी गहरी साँस ले फिर देखिये आपका शरीर कितनी सहजता से  Read more…


संभावना के समर्थ माध्यम

  संभावनाऐ  अनंत  हैं  हर क्षेत्र  मेँ  हर  ब्यक्ति  के अन्दर  का  आत्मबल  उसके  साथ  दौड़  लगाने  का  पुरा  दमखम  रखता हैं। लेकिन  ब्यक्ति  अपनी  बुद्धि  को किन्तु  परन्तु  में  लगा कर उस क्षण को नज़रअंदाज़ कर देता है। हर Read more…


गीता जयंती पर एक विचार

  अगहन मास  की शुक्ल पक्ष की एकादसी तिथि मोक्षदा एकादसी कहलाती हैं। मान्यता है की द्वापर युग में इसी दिन कुरुक्षेत्र में भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था।  यह दिन गीता जयंती के रूप में मनाई जाती Read more…


भिखारी और उन्नति का सूत्र

  भिखारी को भीख देना हम अपना कर्त्वय समझते हैं। चलो कुछ रूपए  दे कर हम उसका उपकार कर देते हैं। ऐसी ही सोच हमारे अंदर होती हैं। कुछ ज्यादा विचार करने पर यही आता हैं , हट्टा -कट्टा हैं Read more…


प्रतिकूलता से प्रेरणा तक

  आज के सन्दर्भ  में बात करे तो कोविद-19 का आगमन  विश्व सहित देश  में इसका फैलाव गंभीर समस्या हैं। पूरा विश्व समाधान की फिक्र में हैं। लॉकडाउन (lockdown) की घोषणा  के बाद जो मौहौल बना, काफी दर्दनाक था। आवाजाही Read more…


अक्षुण्ण विरासत

  वो संघर्ष का दौर था, निजी भावनाओं  ऊपर सर्वोपरि कुछ और था , जूनून जोश और अम्बर, जितने का ख़्वाब था , अपनी धारा आबो हवा, अपना सब कुछ  पा लेने का उल्लास था, खोने को सब कुछ, पर पाने Read more…


बंदिशे

  बंदिशे क्यों नागवार हैं , माँ के गर्भनाल से बंध कर ही , बचपन आया , पौधें की जड़ , मिटटी से बँध  कर ही , लहलहाया , नदियां किनारो से , बंध कर ही धारा बन पाई , Read more…