fbpx
Browsing:

Category: साहित्य

कुछ पल अपने लिए

  जिंदगी हारने की चीज नहीं , क्यों हारने की सोचते हो , जो गम पचा न सके , वह गम तुम्हारा नहीं है ,   दूसरे की बोझ ढो रहे हो , क्यों हारने की सोचते हो , तुम्हारे Read more…


भागते थे कदम

    भागते थे कदम ,घर के बाहर छुपा -छुपी खेलने को , फुटबॉल खेलना था, ग्राउंड में , स्लाइड करना था , सब कुछ तय था, धमाचौकड़ी करनी थी , एम्बुलेंस , आयी थी आज, कोई बीमार हुआ , Read more…


क्या होगा ?

      कभी खेत खलिहान बगीचा , टिल्हा क्रीडा- स्थली होती थी , झूला – झुलनेवालो की, पेंगे बरी होती थी , चीका  कबड्डी , छुआ -छुई , गुल्ली- डंडा , कित- कित , गोटी , क्या कंचे थे Read more…