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Author: Manju roy

संभावना के समर्थ माध्यम

  संभावनाऐ  अनंत  हैं  हर क्षेत्र  मेँ  हर  ब्यक्ति  के अन्दर  का  आत्मबल  उसके  साथ  दौड़  लगाने  का  पुरा  दमखम  रखता हैं। लेकिन  ब्यक्ति  अपनी  बुद्धि  को किन्तु  परन्तु  में  लगा कर उस क्षण को नज़रअंदाज़ कर देता है। हर Read more…


गीता जयंती पर एक विचार

  अगहन मास  की शुक्ल पक्ष की एकादसी तिथि मोक्षदा एकादसी कहलाती हैं। मान्यता है की द्वापर युग में इसी दिन कुरुक्षेत्र में भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था।  यह दिन गीता जयंती के रूप में मनाई जाती Read more…


भिखारी और उन्नति का सूत्र

  भिखारी को भीख देना हम अपना कर्त्वय समझते हैं। चलो कुछ रूपए  दे कर हम उसका उपकार कर देते हैं। ऐसी ही सोच हमारे अंदर होती हैं। कुछ ज्यादा विचार करने पर यही आता हैं , हट्टा -कट्टा हैं Read more…


नवरात्र एक संकल्प

    या देवी सर्वभूतेषु ,मातृरूपेण  संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तयै नमो नमः।।    ‘‘माँ , जगदम्बा , हे पराम्बा  आपको मेरा नमस्कार हैं  , करबद्ध हो कर हम आपसे विनती कर रहे हैं , माँ आपके शरण में हैं। हे Read more…


प्रतिकूलता से प्रेरणा तक

  आज के सन्दर्भ  में बात करे तो कोविद-19 का आगमन  विश्व सहित देश  में इसका फैलाव गंभीर समस्या हैं। पूरा विश्व समाधान की फिक्र में हैं। लॉकडाउन (lockdown) की घोषणा  के बाद जो मौहौल बना, काफी दर्दनाक था। आवाजाही Read more…


हमारी सोच से इम्युनिटी प्रभावित होती है

  हमारा मन कई परिस्थिति में प्रभावित हो सकता हैं। जब किसी नुकसान  का भय हो,  तो हमारा मन परेशान होता है  साथ ही जब किसी जोखिम  की जानकारी हो, तो भी हम परेशान होने लगते हैं।  सावधानी शब्द यथार्थ  Read more…


बंदिशे

  बंदिशे क्यों नागवार हैं , माँ के गर्भनाल से बंध कर ही , बचपन आया , पौधें की जड़ , मिटटी से बँध  कर ही , लहलहाया , नदियां किनारो से , बंध कर ही धारा बन पाई , Read more…


कुछ पल अपने लिए

  जिंदगी हारने की चीज नहीं , क्यों हारने की सोचते हो , जो गम पचा न सके , वह गम तुम्हारा नहीं है ,   दूसरे की बोझ ढो रहे हो , क्यों हारने की सोचते हो , तुम्हारे Read more…


भागते थे कदम

    भागते थे कदम ,घर के बाहर छुपा -छुपी खेलने को , फुटबॉल खेलना था, ग्राउंड में , स्लाइड करना था , सब कुछ तय था, धमाचौकड़ी करनी थी , एम्बुलेंस , आयी थी आज, कोई बीमार हुआ , Read more…


क्या होगा ?

      कभी खेत खलिहान बगीचा , टिल्हा क्रीडा- स्थली होती थी , झूला – झुलनेवालो की, पेंगे बरी होती थी , चीका  कबड्डी , छुआ -छुई , गुल्ली- डंडा , कित- कित , गोटी , क्या कंचे थे Read more…