हिम्मत की जीत
April 25, 2021
राधा ( काल्पनिक ) खिड़की के सामने खड़ी हो कर एक टक बाहर देख रही थी ,उसको जरा भी सुध नहीं कि बगल में उसकी चार साल की बेटी उसकी पल्लु को पकड़े सुबक रहीं थी। उसके पति की तबियत कुछ दिनों से ख़राब चल रही थीं, सो अचानक आज ज्यादा बिगड़ गई ,उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।अच्छे, पद ,प्रतिष्ठा वाले थे ,सो हाल चाल जानने वालो की भी लम्बी लिस्ट थीं। फोन रिसीव करना और सब से बात करते हुए राधा तनाव महसूस कर रही थीं। अरे ,क्या करुँ ,कुछ समझ नहीं आ रहा हैं ,खुद ही इतना अस्त ब्यस्त हूँ ,कैसे मैनेज करुँ ,किस रिश्तेदार को बुलाऊ ,कैसे सँभलेगा। इन्हीं विचारों के उधेड़ बुन में खड़ी थी। किसी ने कॉलवेल बजाया। अचानक उसका ध्यान बाहर ओर गया ,दरवाजे की तरफ भागी ,क्या हुआ,इस संकट में अभी कौन आया। घबराते हुए उसने दरवाजा खोला ,देखा कि उन सब के जांच के लिए मेडिकल टीम के लोग आए थे। उन्हने आने का मकसद बताया कि आप सब का कोबिड टेस्ट करना हैं। राधा सकपकायी किंतु यह तो करना ही था। इसी बीच उसकी नजर बच्ची की ओर गई ,अरे यह क्या उसके होठों से खुन रिस रहा था ,क्या हुआ बेटा ,मम्मा मैं गिर गई थी ,मुझे अच्छा नहीं लग रहा हैं। उसने उसे गोद में उठाया,अरे इसको तो बुखार भी हैं। उसका मन बहुत घबराने लगा। पुनः उसने मेडिकल टीम के लोगो को बताया बोली थोड़ा समय दिजिये यह कह कर वह अंदर चली गई। उसकी आँखों में आँसू थे ,उसने पानी का ग्लास भरा ,बेटी को गोद में ले कर सोफे पर बैठ गई ,पानी पीते पीते ही अपने को संभाला। खुद से ही अपने आप को समझाया ,यहाँ अपना कुछ नहीं चल रहा हैं इसलिए जो सिस्टम चल रहा हैं उसके साथ हो लेना चाहिए। चाहे वह टेस्ट करवाना हो या फिर दिशा निर्देश हो। वह उठी अपनी और बेटी की जांच के लिए सहमत हो गई। जाँच रिपोर्ट में राधा कोबिड पॉज़िटिव थी ,लेकिन उसकी बेटी जो बुखार से तप रही थीं उसका रिपोर्ट नेगेटिव था। राधा के लिए मुश्किल की घड़ी थी। जो भी हो दवाईया , चिकित्सीय निर्देश का पालन करने के लिए राधा तैयार थी। राधा का पॉज़िटिव होना बच्ची के लिए कितनी बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई यह काफी कष्टकर समय था।
अब तक राधा जो अस्त ब्यस्त हो कर परेशान थी वह अपनी जिम्मेदारी को समझ हिम्मत जुटाया और सारी प्रक्रिया अच्छे से समझी। वह दवा , सेनेटाइज़ेशन ,दुरी होम आइसोलेशन सम्बन्धी निर्देश और संतुलित खुराक का कड़ाई से पालन करते हुए अपनी दिनचर्या को संभाल लिया। चार पाँच दिनों में वह अपने मनोबल से इतना तक कर पाई की उसने अपनी बेटी तक संक्रमण को नहीं पहुँचने दिया।
राधा की चिंता पति की ओर भी थी क्योंकि वह कठिन दौर से गुजर रहे थे। सारे परिजन उनके लिए दिन रात प्रार्थना में लगे थे। भगवान की कृपा से स्थिति सुधर रही थीं। राधा की हिम्मत और समझदारी से सभी दिशा निर्देश का पालन करना अनहोनी को टाल दिया। तीन सप्ताह के संघर्ष के बाद उसने अपने परिवार को मौत के सामने से खींच कर बाहर ले आयी. सब का रिपोर्ट निगेटिवआया। उसने अपनी भाभी को फोन पर बात करते हुए फफक पड़ीं रुँधे गले से बोली ,भाभी हमारे बुजुर्गो और आप सब के आशीर्वाद से आज हमारा परिवार कोरोना महामारी को हरा पाया हैं। भगवान की बहुत बड़ी कृपा हुई हैं। भाभी भी रो पड़ी, हाँ राधा आप सब हमेशा स्वस्थ रहे , भगवान सब की रक्षा करें। हम लोग भी मन्नत पूजा का अनुष्ठान रखेंगे , ऐसा कह कर बोली, अच्छा हम परिवार के सभी लोगो को बता देते हैं। राधा भाभी को टोकते हुए बोली भाभी रुक जाइये अभी नहीं ,जब तक आप के ननदोई घर नहीं आ जाते तब तक किसी को कुछ नहीं बताइये। मेरे जिंदगी के सिरमौर अभी तक संघर्ष कर रहे हैं।
ननद भाभी की बात चीत ख़त्म हुई ,उसने फोन रखा ही था कि अस्पताल से फोन आया ,राधा का दिल धड़कने लगा क्या समाचार हैं उसने कॉल उठाया , मैडम आपके लिए अच्छी खबर हैं ,आपके पति अब घर जा सकते हैं। उनको डिस्चार्य किया जा रहा हैं। आप के लिए हिदायत हैं कि अभी घर में भी आपलोग पूरी तरह से कोबिड दिशा निर्देश का पालन करेंगे।दूरी और मास्क के साथ हाथ धोने और सेनेटाइजेशन की प्रक्रिया दोहराते रहेंगे। राधा सुन रही थी ,आँखों से आँसु झर रहे थे ,ये ख़ुशी के आँसु थे। वह उठी और झट पट से सारे काम करने लगी ,बेड के चादर बदले , घर का कोना कोना सेनेटाइज किया ,पति कपड़ा ,उनकी तौलिया ,टूथब्रश ,टूथपेस्ट ,आदि सभी उपयोग का सामान उनके नियत स्थान पर रख दिया। खुद भी अच्छी तरह तैयार हो कर इंतजार करने लगी
गाड़ी दरवाजे लगी। कॉल वेल बजी उसने दरवाजा खोला। पति को देख उसकी आँखें भर आई ,दोनों की आँखे डबडबाए हुए थे ,मुँह कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थे। राधा पति का हाथ भी नहीं पकड़ सकती थीं। सो उसने गेट खोल कर साइड हो कर पति को अन्दर आने इशारा किया। बच्ची को गोद लेने को मचल रहे पिता को उसने समझाया .रूको थोड़े दिन की बात हैं। खतरा को ख़त्म होने दो भगवान की कृपा से हम घर में साथ में है,सब ठीक हो जाय फिर जैसे इक्क्षा हो वैसे रहना। राधा बेटी को भी पहले ही मानसिक तौर पूर्ण रूप तैयार कर चुकी थी कि पापा अस्पताल से आएँगे तो उनसे दुर से बातें करना हैं बरना फिर तबीयत ख़राब हो सकती हैं। बच्ची मम्मा की बात पुरे मन से स्वीकार ली ,अब कोई चिंता नहीं थी की कैसे संभलेगा। दूर रह कर ही वह डांस दिखाती ,जोग सुनाती ,नक़ल करती ,भाव भँगिमा ,कहानी सभी पापा को दिखाती। सब देख सभी हँस हँस के लोट पोट होते इस तरह कठिन समय भी आसानी से पार हो गया । राधा ने अपनी समझदारी के साथ जिम्मेदारी समझा। यदि वह नर्वस होती तो उसके परिवार को संभालना कठिन हो जाता। भगवान और परिजनों को अपनी अच्छी भावना और आशीर्वाद देने का मौका दिया। यहाँ पर अपनी खुद का भरोषा और आत्मबल से ही इस परिस्थिति से सुरक्षित निकल पायी।