संभावना के समर्थ माध्यम
January 5, 2021
संभावनाऐ अनंत हैं हर क्षेत्र मेँ हर ब्यक्ति के अन्दर का आत्मबल उसके साथ दौड़ लगाने का पुरा दमखम रखता हैं। लेकिन ब्यक्ति अपनी बुद्धि को किन्तु परन्तु में लगा कर उस क्षण को नज़रअंदाज़ कर देता है। हर पल एक नई संभावना के साथ आता है। सृष्टि के अन्तर्गत सभी सजीव निर्जीव इन सम्भावनाओ के समर्थ माध्यम है। हमें अपनी कोशिश में तत्परता दिखाने की जरुरत है। आज जिस दौड़ में हम जी रहे है इंसान अपने सभी कर्म को अर्थ प्राप्ति का साधन बनाना चाहता है ऐसे में पैसा प्राप्त होगा तो काम करने की इक्छा होगी नहीं तो दूसरा उपाय चाहिए धैर्य नहीं रख पाता है इसे हम एक कहानी के माध्यम से समझ सकते है।
एक इलाके में पता चला की यहाँ सोने का विशाल भंडार है। जमीन का मालिक काफी खुश हुआ , उसने सोचा चलो अब हम भी अमीर बन जाऐंगे निश्चय किया की कुछ जमीन को बेच दे , जिससे अच्छे दाम मिल जायेंगे क्योकि सोने की खान मिलने की खबर फ़ैल गई थी। वह अपने परिवार संग बैठ कर विचार विमर्श किया फिर निर्णय हुआ की जमीन की बिक्री नहीं की जाए। अब उसने निश्चय किया कि खुद ही सोना प्राप्त करने की कोशिश करेगा। और उसने खुदाई शुरू कर दी बहुत उतसाहित था। सोना प्राप्ति का अहसास उसे रोमांचित कर रहा था काम निर्बाध गति से चल रहा था महीना दर महीना बीतता गया मज़दूरों का दल काफी खुदाई चुका अब तक सोना के खान मिला नहीं , उसे अब शंका होने लगी ,उसका उत्साह कम पड़ने लगा। सोना प्राप्ति की आशा में जो जमा पूंजी थी वह भी खर्च कर दी अब क्या किया जाए उसे समझ नहीं आ रहा था पुनः हिम्मत किया सोचा ठीक है थोड़ा और आगे बढ़ते है फिर कुछ महीना कार्य चला अब भी उसे निराशा हाथ लगी क वह पूरी तरह थक चूका था। साथ ही पैसा भी खर्च हो गया हिम्मत भी जबाब दे रहा था। सिर पर हाथ रख कर वह सोच रहा था कि क्या किया जाए. उधेड़ बुन मे था।
ठीक उसी समय एक ब्यापारी आया और बोला अरे भाई देखो यह पता चला है की यहाँ सोना का विशाल भंडार है। वह बोला हाँ खबर सच है लेकिन मुझे तो नहीं मिला। ब्यापारी बोला तुमने प्रयास किया और सोना नहीं मिला आगे मिल भी सकता है और नहीं भी मिल सकता है। मैं ब्यापारी हूँ ब्यापार को लाभदायक बनाना मेरा काम है मैं तुम्हें मुँहमाँगा कीमत दूंगा। तुम इस जमीन की बिक्री मुझे कर दो। तुम किसान हो खान के लोभ में क्यों पड़ रहे हो तुम्हे तुम्हारी जमीन की अच्छी कीमत मिल रही है तुम अपना लाभ देखो ऐसा कह कर ब्यापारी पुनः दूसरे दिन आने की बात कह कर चला गया। वह काफी असमंजस में पड़ गया क्या करे। जमीन अब खेती के लायक रही नहीं ,.जमा पूंजी भी ख़त्म हो गया। सोना मिला तो ठीक होगा और नहीं मिला तो क्या होगा यह विचार आते ही किसान पस्त हो गया हाथ पैर सुन्न होने लगे उसको घबराहट होने लगा. अरे यह तो बहुत बुरा होगा।,वह अपने परिवार के सभी सदस्यों बुला कर अपनी और ब्यापारी के बीच बातचीत बताई। अपना संशय भी बताया। विचार विमर्श कर निश्चय हुआ की ब्यापारी से एक मोटा रकम तय किया जाय। कल हो कर ब्यापारी आया ,रकम तय हुआ। सौदा तय होने पर ब्यापारी जमीन खरीद लिया किसान भी निश्चिन्त हुआ। ख़ुशी ख़ुशी अपनी दिनचर्या में लग गया।
अब ब्यापारी भी अपना काम जोर शोर से शुरू कर दिया सुनियोजित ढंग से काम चल रहा था। ब्यापारी पुरे उत्साह में था कुछ सप्ताह ही काम चला था की अचानक सोना का भंडार मिलने की खबर आई। यह खबर सुनकर उसका दिल बैठने लगा अरे क्या किया मैंने सोने की खान कुछ पैसे के बदले बेच दिया। मेरी अकल मारी गई थी। अपने संशय के कारण हमने अपनी क्षति की है। यदि थोड़ा धैर्य रखता तो आज विशाल सोने के भंडार का मालिक होता धैर्य हीनता और अज्ञानता के कारण आज मैं अमीर बनने की सम्भावना को खत्म कर दिया और जमीन भी हाथ से चली गई।
निष्कर्षतः यही समझना चाहिए की किसी भी कार्य में अज्ञानता और किये गए प्रयास में संशय आप के विकाश को बाधित करता है जीवन का लक्ष्य पाने के लिए अपने किए गए प्रयास के प्रति आशावान रहना चाहिए। असफलता में घबराये नहीं बल्कि उससे मिले अनुभव को भी सफलता की एक कड़ी मान कर आगे बढ़ते रहे ऐसे कई उदाहरण जिन्होंने कई असफलता के बाद ही लम्बी सफलता पाई।