बंदिशे
September 27, 2020
बंदिशे क्यों नागवार हैं ,
माँ के गर्भनाल से बंध कर ही ,
बचपन आया ,
पौधें की जड़ ,
मिटटी से बँध कर ही ,
लहलहाया ,
नदियां किनारो से ,
बंध कर ही धारा बन पाई ,
हे मन ,
प्राणवान मनुष्य ,
हरी भरी प्रकृति ,
धरा की अनवरत गमन ,
बंदिशों की दें है ,
सोचना हैं ,
क्यों हम ,
मर्यादाओं की बंधन ,
से परेशान होते हैं ,