fbpx

अलसी कितनी महत्व की हैं।

Spread the love

 

अलसी या तीसी  का भारतीय खाद्धय पदार्थों में अहम् स्थान हैं ।  यह समशीतोष्ण  प्रदेशिये  पौधा  हैं  यह तिलहन श्रेणी की दूसरी  मुख्य ,फसल हैं।  इसके बीज और तेल का उपयोग  खाद्य  सामग्री  रूप में  होता हैं जबकि औद्योगिक स्तर पर  इसके रेशे  से कपड़े , रस्सी आदि  के साथ  इसके  तेल से  पेंट ,वार्निश  इत्यादि  का  निर्माण  होता  हैं। यहाँ  तीसी  की  उपयोगिता सिर्फ खाने लायक और वस्तु  निर्माण  तक ही  सीमित  नहीं   हैं ,बल्कि  यह  औषधिये  जड़ी बूटी  के रूप   मे  भी  सर्बमान्य सामग्री हैं।।। .

 

तीसी हमारे रसोई  में  कितना उपयुक्त सामग्री  हैं यह इस  बात  से  पता चलता हैं की  जो हमारे  भोजन के  स्वाद को कई तरह से  बढ़ाता  हैं।  रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ा कर ,इम्युनिटी  सिस्टम को  मजबुत करता है। पुराने  समय  में महिलाएँ  सजने  सँवारने  के लिए  तीसी का  प्राकृतिक  रूप  में  प्रयोग  करती थी , जिसमें  तीसी  को रातभर  पानी में  फुला  कर  उसकी जेली तैयार कर के चेहरा और बालों में लगाने से उनकी नमी और चमक बनी रहती हैं। पहले के समय में  स्त्रियाँ अपने  बालों  को घुँघराले बनाने के  लिए रात में  बालों  में  तीसी वाला पानी या जेल लगा  कर मनचाहा रूप में  बालों को  सॅवारती   थी।  इसके  तेल  में चिपकने के  बिशेष  गुण  के कारण  महिलाएँ बालों में  चुपड़ चुपड़ कर कई  प्रकार का  जुड़ा बना  कर बालों को  बाँधती   थीं  जो कई कई  दिनों  तक  उसी  तरह  बँधे  रहते  थे  और ,ख़राब  नहीं  होते थे । घर में महिलाएँ कागज  भूसी और भी कई कबाड़ वाली  अनुपयोगी वस्तुओं को तीसी वाला पानी के साथ मिला  कर  जो गोंद के समान काम करता हैं   उससे   अपने उपयोग की सुन्दर समान बनाती थी।

 तीसी का एक नाम चिकना भी हैं  औ रइसका  तेल का  स्वाद खाने में थोड़ा  तितपन  लिए   होता हैं ,लेकिन  फाइबर की मात्रा अधिक होने कारण पाचन क्रिया में सुधार लाता हैं साथ ही  कब्ज से राहत दिलाता  हैं। पाचन क्रिया को बेहतर  बनाता हैं। प्राकृतिक रूप से  शरीर को अंदुरनी  सफाई यानी बॉडी डिटॉक्स करने क्षमता पाई जाती। आयर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली तो तीसी को आहार में  एक निश्चित मात्रा में  नियमित शामिल करने की बात करता हैं। क्योंकि शरीर की आवश्यक पोषक तत्वों की कुछ मात्रा यह पूरा करता हैं।

ओमेगा  3 एसिड  प्रोटीन और कैल्शियम ,आयरन , मैंगनीज कॉपरआदि के साथ   कई प्रकार बिटामिन्स  भी पाये जाते हैं। इसमें   एंटी ऑक्सीडेंट के गुण  पाए जाते हैं। यह इम्युनिटी बूस्टर भी हैं। अलसी  का सेवन एक से दो चम्मच की मात्रा  प्रतिदिन करना चाहिए इससे  ह्रदय रोग से बचाव ,  मधुमेह नियंत्रण, के साथ  नर्भस सिस्टम  को ठीक रखने  में मदद  मिलती हैं। हड्डियाँ मजबुत बनती हैं ,आलस्य और अवसाद जैसे  मानसिक बिकार भी दूर होता हैं। थोड़ी मात्रा में ही लेने से ब्यक्ति की खुराक में  मिनरल्स और बिटामिन्स की प्रतिदिन की जरुरत कुछ हद तक पूरी हो जाती हैं। भुन कर सीधे खा सकते है ,पाउडर बना कर आटा मे मिला कर रोटी या पूरी ,पराठा बना सकते  हैं।  पीठा की  रेसिपी  भी काफी  टेस्टी  बनता  हैं।   इसके ,पाउडर में  पानी  काला नमक लहसुन मिला कर चटनी या  पेस्ट बना कर रोटी या चावल के साथ  खाए।

सलाद  के साथ ,शरबत , छांछ  सभी  के  साथ  स्वादिष्ट  लगता  हैं  जाड़े में  सूखा मेवा  ,शुद्ध घी   ,गुड़ या मिश्री के  लड्डू  बना कर  खाए।  बच्चे जवान बूढ़े खास कर महिलाएँ  जिनको  कैल्सियम  की  अधिक  जरुरत  होती  हैं। एक  लड्डू  खा  कर एक गिलास दूध पीना  काफी पौष्टिक आहार बन जाता हैं।  मसूर दाल और तीसी कि बड़ी भी बहुत स्वादिष्ट बनती हैं। इस तरह  तीसी हमारे स्वस्थ रहने के लिए एक प्राकृतिक वरदान हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *