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नववर्ष के संकल्प

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मानव मष्तिष्क  सहज ही कल्पनाओ के माया जाल  में उलझ जाता है। सुलझे अनसुलझे सवालों में घिरा रहता है। बहुत से उदाहरण भरे पड़े हैं जहाँ ब्यक्ति अपने चाहत की चादर को इस तरह अपने इर्दगिर्द लपेट लेता है,  जिस कारण  वह काल्पनिक दुनिया में खो कर अपनी वास्तविक परिस्थिति को समझ नहीं पाता। हर हाल  में यह समझना प्रत्येक ब्यक्ति के लिए  जरुरी हैं  ,की किसी भी कल्पना को हकीकत में स्थापित करना एक महत्वपूर्ण प्रयास हैं जिसमें ब्यक्ति का साहस और आत्मबिश्वास का होना बहुत जरुरी है।

नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ हम आने वाले साल में  क्या- क्या  करना है इसका  भी संकल्प करते हैं। हर इंसान प्राथमिकता के अनुसार अपने संकल्प को तय करता हैं। संकल्प तो कर लिया अब पूरा कैसे  करें। कुछ ने संकल्प किया और अपने लक्ष्य को तय करने में लग गए और कुछ किन्तु -परन्तु ,अच्छा- बुरा ,लाभ -हानि का गुना भाग करने लगते हैं।  सोचना जरुरी हैं किन्तु उस सोच में अपने भविष्य की कल्पनाओं में खो जाना लक्ष्य से भटका देगा जिससे आपके  संकल्प के परिणाम को  बिफल कर देगा।एक छोटी कहानी माध्यम समझ सकते हैं।

एक लड़की मुर्गी के अंडों की टोकड़ी सिर पर लिए बाजार जा रहीं  थीं। रास्ता पगडंडी वाला था। वह सोचते हुए जा रही थीं ,की आज हम सारे अंडो को बेच कर अच्छा पैसा कमाएंगे ,फिर कल भी अंडे बेचेंगे फिर पूरा पैसा जमा होगा हमारे पासआहहह। वह अपनी कल्पनाओं की सुखद अनुभूति में अपने भविष्य को देखने लगी। अरे मैं इतने अंडो में कुछ को बेचूँगी और कुछ से पुनः चूजा प्राप्त करुँगी। ,ढेर सारे चूजे बड़े होंगे ,और फिर हमारे  पास बहुत सारे अंडे होंगे। उन अंडो को बाजार में बेच कर बहुत  पैसा मिलेगा। तब  तो वह अमीर  हो जायगी फिर वह एक  सुन्दर नौजवान से शादी कर आनंदित जीवन जिएगी । उनके सुन्दर सुन्दर  बच्चे होंगे ,वह अपने  बच्चे सब का लालन पालन खूब अच्छे करेगी, खूब प्यार करेगी ,बच्चे भी उससे खूब प्यार करेंगे। माँ माँ कह कर उससे लिपट जायेंगे  वह बच्चों सब  की बदमाशी करने पर उन्हें डाँटेगी, उनकी शैतानियों पर उनकी पिटाई भी करेगी ,क्यों नहीं  करेगी वह आखिर उसकी माँ हूँ  ना हूउउउउउ। फिर भी बच्चे डांट  मार के डर से भागेंगे तो उसे वह दौड़ कर पकड़ लेगी।  ऐसे सोचते वक्त उसका संतुलन पगडण्डी पर बिगड़ गया और वह फिसल कर गिर पड़ी.अंडो की टोकड़ी जमीन पर गिर गई ,सारे अंडे गिर कर  टूट गए। अरे अब क्या  होगा , काल्पनिक भविष्य का सपना से वह बाहर आई, और जोर जोर से रोने लगी मेरे बच्चो  अब क्या होगा।  किसी राहगीर ने उसके रोने का कारण पूछा ,वह रोते  रोते बताने लगी  मेरे सारे अंडे बर्बाद हो गए ,अब मैं अमीर  कैसे बनूँगी ,शादी कैसे करुँगी ,बच्चों का पालन कैसे करुँगी। उसकी बातों को सुन कर राहगीर को हँसी आ गई ,किन्तु उसने अपने आप को रोका और लड़की को समझाया। देखो ऐसे नहीं रोते तुम तो अभी बाजार में अंडे बेचीं नहीं।फिर अंडे होंगे उसे बेचना ,लेकिन  अमीर बनने के लिए बहुत मेहनत करना होगा। अब तुम घर जाओ और मुर्गियों की देख भाल करो। ध्यान दे कर तुम रास्ता चलती तो तुम गिरती नहीं और अंडे भी बर्बाद नहीं होते।

लड़की समझ चुकी थीं कि वह कल्पना की दुनिया में जिंदगी की खुशियों के पल का आनंद लेने लगी थीं। लेकिन सच्चाई भी सामने थी की सुख कल्पना  करने से प्राप्त नहीं होगा। सफलता को सोच कर ब्यक्ति सफल नहीं होता हैं बल्कि उसके लिए मेहनत के साथ वर्त्तमान में रहना भी जरुरी हैं। तभी अपनी समस्याओं  का समाधान कर सकता हैं।

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