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अलसी कितनी महत्व की हैं।

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Spread the love  अलसी या तीसी  का भारतीय खाद्धय पदार्थों में अहम् स्थान हैं ।  यह समशीतोष्ण  प्रदेशिये  पौधा  हैं  यह तिलहन श्रेणी की दूसरी  मुख्य ,फसल हैं।  इसके बीज और तेल का उपयोग  खाद्य  सामग्री  रूप में  होता हैं Read more…


टैरेस गार्डनिंग एक जरुरत

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Spread the loveटैरेस गार्डनिंग की बात करें तो छत पर  सुन्दर सी बगीया जिसमें बिभिन्न प्रकार के फूलों ,फलों और शब्जियों के हरे भरे पौधों  का मनोहारी दृश्य की अनुभूति होती हैं। आम तौर पर हम हरियाली भरा प्राकृतिक  वातावरण Read more…


कार्तिक पूर्णिमा पर बिशेष – हरिहर क्षेत्र की महिमा

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Spread the loveबिहार राज्य का सोनपुर एक धार्मिक  ऐतिहासिक स्थल हैं। यह स्थान मुख्यतः एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला के लिए प्रसिद्ध है.  कार्तिक पूर्णिमा के दिन  से शुरू होने वाला ग्रामीण  मेला का  विशाल स्वरूप में बिहार की Read more…


जीवन अनमोल है–अपेक्षाओं को समझें।

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Spread the loveजीवन अनमोल हैं। जब तक जीवन हैं इसकी क़द्र करते हुए श्रेष्टतम परिकल्पनाओं को सार्थक करें। किसी ने कहा हैं की तुम समय की कद्र करो समय तुम्हारी अपेक्षाओं को समर्थ करेगा। कल्पना की उड़ान भरना हर कोई Read more…


प्राकृतिक चिकित्सा एक अनुभव——-पतंजलि वेलनेस सेंटर हरिद्वार

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Spread the loveरोग की असहजता सभी को अहसास हुआ होगा ,छोटा या बड़ा रोग तो  रोग हैं। जब थोड़ी सर्दी भी हो जाए तो हाल ठीक नहीं हैं  का जबाब मिलेगा। आज हम कितने तरह के बीमारियों का नाम सुनते Read more…


दिव्य कलश

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Spread the loveएक दिव्य  कलश चाहिए ,जिसमें सन्तुष्टि  का स्वाद भरा हो। प्रभु के सामने मैंने अपनी कामना को रखा। प्रभु ने पूछा ,क्यों चाहिए तुम्हें सन्तुष्टि का दिव्य कलश। प्रभु ने मुझ पर ध्यान दिया और मेरी इक्क्षा को Read more…


जीवन मूल्यों का अवलम्बन ही सकारात्मकता हैं।

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Spread the loveमनुष्य जीवन  अनमोल हैं। प्रकीर्ति हमें स्वीकार्य और अस्वीकार्य कर्मो  के   अनुशासन में बांध रखा हैं। इन्हीं नियमों के तहत जीवन की गति चलती हैं। भगवतगीता हमें हमारे कर्मो को बहुत ही स्पष्ट रूप से समझाया हैं. Read more…


असहजता

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Spread the loveप्रकीर्ति ,समय की प्रतिकूलता ही , बिपत्तिकाल हैं।   हर मोड़ पर परिस्थितिओं , की असमानता , कठोरता से भावनाओं को दमन करती हैं।   साथी मन  ही परवाह कर सकता हैं , उस क्षण की , कोलाहल Read more…


खोंइछा

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Spread the loveखोंइछा एक रस्म हैं,जो बेटी की शादी के बाद ससुराल के लिए बिदाई के वक्त निभाया  हैं। यह लोक परम्परा हैं , पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रहीं हैं। इस रस्म में हरी दुब ,धान ,हल्दी की गाँठ Read more…


गुल्लक

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Spread the loveगुल्लक की महत्वपूर्ण पकड़ हमारी समाजिक और पारिवारिक अर्थब्यवस्था में रही हैं। बच्चों से ले कर बड़ो तक में  गुल्लक की महिमा  का गुणगान  हैं। दीपावली में ब्यापारी के यहाँ नया खाता वही ख़रीदाता था वहीं गृहस्थी के Read more…